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प्रबन्ध व्यवस्था

यू0पी0आर0एन0एस0एस0 के सदस्य समितियों के प्रतिनिधियो के सामान्य निकाय द्वारा उ0प्र0 सहकारी समिति अधिनियम 1965 एवं तद्अन्तर्गत बनी उ0प्र0सहकारी समिति नियमावली 1968 के प्राविधानों के अन्तर्गत निर्वाचित प्रबन्ध कमेटी एवं सभापति के निर्णयानुसार यू0पी0आर0एन0एस0एस0 के मुख्य कार्यपालक अधिकारी, प्रबन्ध निदेशक द्वारा सम्पादित कराये जाते है।

सामान्य निकाय

यू0पी0आर0एन0एस0एस0 का अन्तिम प्राधिकार उसके सदस्यों के सामान्य में निहित है। साधारण सदस्यों के प्रतिनिधियों से सामान्य निकाय का गठन होता है।

प्रबन्ध समिति

प्रबन्ध समिति में अधिकतम 17 सदस्य होते है, जिसमें कुल 14 सदस्य समितियों से निर्वाचित, 2 सदस्य राज्य सरकार द्वारा नामित, 1 सदस्य वित्त पोषक संस्था से नामित होता है तथा संस्था का प्रबन्ध निदेशक पदेन सदस्य होता है। वर्तमान समय में संस्था में निर्वाचित प्रबन्ध समिति कार्यरत है।

कार्मिक व्यवस्था-संस्था का मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रबन्ध निदेशक होता है उसके सहायतार्थ मुख्यालय एवं क्षेत्र में अधिकारी एवं कर्मचारी नियुक्त है। यू0पी0आर0एन0एस0एस0 के समस्त कार्य उपविधि के व्यवस्था के अनुसार निर्वाचित प्रबन्ध कमेटी एवं सभापति के निर्णयानुसार मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रबन्ध निदेशक द्वारा संचालित कराये जाते है, जिसके लिये मुख्यालय एवं निर्माण प्रखण्डों पर निम्नांकित व्यवस्था है-

क-मुख्यालय पर व्यवस्था-

प्रबन्ध निदेशक द्वारा कार्य निष्पादित कराये जाने हेतु सहयोग के लिये निम्नलिखित अधिकारी एवं स्टाफ की व्यवस्था है-





ख-परिक्षेत्र पर व्यवस्था

प्रदेश को 6 परिक्षेत्रों में बांटते हुए प्रत्येक परिक्षेत्र में अधीक्षण अभियंताओं की देखरेख में परियोजनाओं को पूर्ण कराने की व्यवस्था की गयी है ।



ग-निर्माण प्रखण्ड पर व्यवस्था

प्रदेश को कुल 6 परिक्षेत्रों के अधीन 35 निर्माण प्रखण्डो विभक्त करते हुए निम्नानुसार टीम की तैनाती कि व्यवस्था की गयी है ।।

1. अधिशासी अभियन्ता/परियोजना अभियन्ता
2. सहायक अभियन्ता एवम अवर अभियन्ता
3. लेखाकार/लेखाप्रभारी
4. तकनीकी एवं गैर तकनीकी स्टाफ